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Bharat Ratna to PV Narasimha Rao : पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को देने का एलान, जानें उनके राजनीति सफर के बारें में

Bharat Ratna to PV Narasimha Rao : केंद्र सरकार ने भारत का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को देने का एलान किया है। वर्ष 1991 में पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने थे।तो आइए हमलोग उनकी राजनीति सफर के बारें में जानें

Bharat Ratna to PV Narasimha Rao
Bharat Ratna to PV Narasimha Rao

लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार द्वारा एलान किया गया है भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न दिया जाएगा। इससे पहले भी केंद्र सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का एलान किया जा चूका है।

पीएम मोदी ने अपने पोस्ट में कहा, यह बताते हुए हमें ख़ुशी है कि हमारे पूर्वप्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा साथ ही उन्होंने कहा कि वे एक प्रतिष्ठित विद्वान और राजनेता के रूप में भारत की बड़े पैमाने पर सेवा की है।

उन्हें केंद्रीय मंत्री और कई वर्षों तक संसद और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, विधानसभा सदस्य के रूप में किए गए कार्यों के लिए याद किया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने भारत को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने, देश की समृद्धि और विकास के लिए एक ठोस नींव रखी थी।

पीवी नरसिम्हा राव का राजनीति सफर :

पीवी नरसिम्हा राव का जन्म वर्ष 1921 में करीम नगर गाँव, हैदराबाद में हुआ। उनका पूरा नाम पामुलापर्ती वेंकट नरसिम्हा राव है। इनकी पत्नी का नाम सत्यम्मा राव था। इनके तीन बेटे और 5 बेटियां है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा करीमनगर जिले के भीमदेवरापल्ली मंडल के कटकुरु गांव से की इसके बाद उस्मानिया विश्वविद्यालय में कला कॉलेज में स्नातक की डिग्री ली।

पीवी नरसिम्हा राव को भाषाओ में काफी रूचि था। उन्हें भारतीय भाषाओं के साथ ही स्‍पेनिश और फ्रांसीसी भाषाओं का भी काफी शौक था। वे सभी भाषाएं को आराम से बोल भी सकते और लिख भी सकते थे।

इसका राजनीतिक में सफर स्वतंत्रता संग्राम में एक कार्यकर्ता के रूप में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के जरिए हुआ था। इसके बाद वे आंध्र प्रदेश राज्य के विधान सभा के सदस्य भी रहे और फिर लोकसभा में आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किए। साल 1980-84 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। इन्हे भारतीय आर्थिक सुधारों का जनक भी कहा जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें देशभक्त राजनेता के रूप में वर्णित किया, उनका मानना था कि देश राजनीति से ऊपर होनी चाहिए।

इसके बाद नरसिम्हा राव ने महाराष्ट्र के नन्द्याल से चुनाव में 5 लाख वोट से जीत हासिल की थी, जिसके लिए इनका नाम गिनीज बुक में शामिल किया गया।

उन्होंने साल 1991 से 1996 तक भारत के 9वें प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा भी की, इसके बाद वे राजनीति से सन्यास ले लिए।

पीवी नरसिम्हा राव का प्रमुख योगदान :

इन्होने शिक्षा नीति के क्षेत्र और राष्ट्रीय स्तर पर नवोदय विद्यालयों के रूप में आवासीय विद्यालयों की स्थापना करवाने में अहम भूमिका निभाई। इसके साथ उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान परमाणु सुरक्षा की एक मजबूत नींव भी रखी थी। इसके बाद उन्होंने लुक ईस्ट नीति का निर्माण और स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने वाले 73वें और 74वें संवैधानिक संशोधनों में भी अपना एक प्रमुख योगदान दिया।

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