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Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh : चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, जाने उनके बारे में सबकुछ

Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh : केंद्र सरकार द्वारा भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। उनके किसानो के लिए समर्पण और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्धता पूरे देशवासियो को प्रेरित करती है। आइए उनसे जुडी पूरी डिटेल्स आपको दे

Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh
Bharat Ratna to Chaudhary Charan Singh

प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी जानकारी X के माध्यम से दी उन्होंने कहा कि यह हमारी सरकार का सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने किसानों के कल्याण और उनके अधिकार के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। यह सम्मान उनके योगदान के लिए समर्पित है।

साथ ही उन्होंने कहा की चौधरी चरण सिंह जी ने अपने राष्ट्र के प्रति हमेशा एक योगदान दिया है चाहे वो एक विधायक एक रूप में, मुख्यमंत्री के रूप में या देश के प्रधानमंत्री के रूप में, वे इमरजेंसी के दौरान भी डटकर खड़े रहे।

चौधरी चरण सिंह का राजनितिक करियर :

इनका जन्म साल 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में एक किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मीर सिंह और उनकी मां का नाम नेत्रा कौर था, वे पांच बच्चों में सबसे बड़े थे। इसके बाद उन्होंने साल 1923 में विज्ञान विषय से ग्रेजुएट हुए और फिर साल 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से लॉ में पोस्ट ग्रेजुएट किए। इसके बाद वे मेरठ आ गए और वहां उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। उन्होंने 1937 में उत्तर प्रदेश के छपरौली से विधानसभा के लिए चुने गए और लगातार इसके बाद वे 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे।

चौधरी चरण सिंह ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में साल 1946 में संसदीय सचिव बने और इसके साथ उन्होंने कई विभागों में चिकित्सा, राजस्व, लोक स्वास्थ्य, सूचना, न्याय में काम किया। फिर उन्होंने साल 1951 में उत्तरप्रदेश में कैबिनेट मंत्री के रूप में चुने गए। वहां पे वे न्याय एवं सुचना विभाग में कार्य किए। इसके बाद साल 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के सरकार में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। साल 1959 में वे जब राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला रहे थे तब उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

फिर वे साल 1960 में सी.बी. गुप्ता के सरकार में गृह एवं कृषि मंत्री बने। फिर 1962-63 में सुचेता कृपलानी सरकार में कृषि एवं वन मंत्री रहे। फिर साल 1965 में उन्होंने कृषि विभाग छोड़ दिया और उसके बाद साल 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का कार्यभार संभाला। फरवरी 1970 में कांग्रेस विभाजन के बाद वे दूसरी बार कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने लेकिन, इसके कुछ समय बाद राज्य में 2 अक्टूबर 1970 राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

उन्होंने उत्तर प्रदेश की सेवा में अपना प्रमुख योगदान दिया है साथ ही पुरे राज्य को एक समान बनाने के लिए भूमि जोत की सीमा को कम करने के उद्देश्य से 1960 में भूमि होल्डिंग अधिनियम लागू करने में अहम भूमिका निभाई।

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