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Rajya Sabha Election 2024 : कैसा होता है राज्य सभा का चुनाव और कैसे होती है वोटिंग, आइए इसके बारे में सबकुछ जानें

Rajya Sabha Election 2024 : राज्यसभा चुनाव के लिए 27 फरवरी को वोटिंग होगी यानि कि आज वोट डाले जाएंगे। राज्यसभा और लोकसभा चुनाव में क्या अंतर होता है और राज्यसभा चुनाव की वोटिंग कैसे होती है। तो हमलोग आगे जानेंगे इसकी पूरी डिटेल्स

Rajya Sabha Election 2024
Rajya Sabha Election 2024

Rajya Sabha Election 2024 :

मंगलवार 27 फरवरी को देश के 15 राज्यों में 56 सीटों पे राज्यसभा के चुनाव होने वाले है। सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का ऐलान पहले ही कर दिया है। बता दे, राज्यसभा चुनाव की 10 सीटें सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश में है जिसमे से अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा के खाते में 7 सीटे और सपा के खाते में 3 सीटे आनी तय मानी जा रही है और सभी की नज़र उत्तरप्रदेश  राज्यसभा चुनाव  होगी क्योंकि यहां पे समाजवादी पार्टी की एक सीट पर उलटफेर की पूरी संभावना जताई जा रही है।

राज्यसभा चुनाव की परिक्रिया ऐसी होती है कि इसमें वोटिंग से पहले ही किस पार्टी को कितनी वोट आनी है ये पता पहले ही चल जाता है। इसका प्रमुख कारण है कि राज्यसभा चुनाव में गोपनीय मतदान नहीं होता है और दूसरी बात यह है कि यहां सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिए चुने जाते हैं।

फिर आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे तय किया जाता है और फिर वोटिंग की प्रक्रिया ऐसी क्यों होती है। तो आपको बताते है कि राज्यसभा के सभापति भारत के उपराष्ट्रपति होते है मतलब की हर दो साल पे राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य बदल जाते है और यह लोकसभा चुनाव से बिलकुल अलग होता है।

राज्यसभा और लोकसभा चुनाव अलग होते है :

लोकसभा में सांसद का कार्यकाल पांच वर्षो का होता है, जबकि राज्‍यसभा में सांसद का कार्यकाल छह वर्षो का होता है। राज्यसभा चुनाव के लिए जाने वाले सांसदों का चुनाव जनता द्वारा नहीं किया जाता है बल्कि इन सांसदों का चुनाव जनता द्वारा चुने गए विधायक करते है। बता दे, अभी के समय में राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी और दिल्ली का प्रतिनिधित्व करती है। इसके साथ ही इस बार पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रेदश, तेलंगाना, यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, ओडिशा, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में राज्‍यसभा चुनाव हो जा रहे है।

कैसी होती है राज्यसभा :

पहले लोकसभा चुनाव के बाद देश के संसद में एक और सदन की जरूरत हो गई थी और वर्ष 1954, 23 अगस्त को राज्यसभा का गठन किया गया। आपको बता दे कि राज्यसभा एक स्थाई सदन है, ये कभी भंग नहीं हो सकती है। वर्त्तमान में राज्यसभा में 254 सदस्य है और इसके12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत की जाती है। इसके साथ ही ये सभी सदस्य कला, संगीत और खेल जगत जैसे क्षेत्रों से आते है और बचे सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आते है।

राज्यसभा का चुनाव कैसा होता है :

राज्यसभा का चुनाव के लिए विधायक (MLA) वोटिंग करते है और इस चुनाव का वोटिंग फार्मूला भी काफी अलग है। वो इसलिए कि किसी भी राज्यसभा की खाली सीटों में एक सीट जोड़कर उससे कुल विधानसभा सीटों को बांटा जाता है और इसके बाद इसमें एक सीट जोड़ दिया जाता है।

इस चुनाव के लिए सभी विधायक वोटिंग करते है और उन सभी का वोट एक बार ही गिना जाता है। इसलिए वे सभी सीटे के लिए वोट नहीं डाल सकते और ऐसे में विधायकों को चुनाव के दौरान प्राथमिकता के आधार पर वोट डालना होता है। चुनाव में उन विधायकों को कागज पर लिखकर बताना होता है कि उनकी पहली पसंद कौन है, दूसरी कौन है फिर इसके बाद ही जिस पसंद को ज्यादा वोट मिले होंगे उसी का जीत माना जाएगा।

इसमें वोटों की गिनती का है फॉर्मूला कठिन है :

इस चुनाव के लिए वोटों की गिनती की प्रक्रिया काफी कठिन होती है। इसमें जो लोग चुनाव लड़ रहे होते है उन्हें एक तय संख्‍या में वोट हासिल करने की जरूरत होती है जिसे आम भाषा में ‘कोटा’ कहा जाता है। इस कोटा की काउंटिंग (गणना) भरी जाने वाली रिक्तियों की संख्या पर निर्धारित की जाती है। इसको और भी आसान से समझिए, अगर चुनाव एक पद को भरने के लिए हो रहे है तो कोटा की काउंटिंग (गणना) कुल वैलिड (वैध) वोटों को भरी जाने वाली सीटों की संख्या से विभाजित करके, उसमे एक जोड़कर और फिर भागफल में भी एक संख्या जोड़कर की जाएगी।

चुनाव से जुडी खास बाते :

राज्यसभा चुनाव में गुप्त मतदान नहीं होता और ना ही ईवीएम का प्रयोग किया जाता है। इसमें सभी विधायक को एक कागज दिया जाता है जिसमें हर उम्मीदवार के नाम के एक से चार तक का नंबर लिखा होगा। सभी विधायकों को उम्मीदवार के वरीयता के आधार पर उसपर निशान लगाना होता है। राज्यसभा सदस्य होने के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए, और इसके साथ ही उनकी उम्र 30 साल से ऊपर होनी चाहिए। वह किसी लाभ के पद पे न हो, दिवालिया या पागल न हो।

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