Success Story of Bharti Airtel Founder Sunil Mittal : दोस्तों आज हम बात करने जा रहे है भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और विश्व के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनियों में से एक एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल की , जिन्हे दुनिया के गिने चुने सबसे सफल लोगो में सुमार किया जाता है।
सुनील मित्तल की कंपनी एयरटेल विश्व की तीसरी और भारत की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है और मौजूदा समय में यह करीब 18 देशों में कार्यरत है जिनके ग्राहकों की संख्या करीब 450 मिलियन आकि गई है। तो चलिए दोस्तों हम आपका बिना समय लिए हुए भारतीय इंटरप्राइजेज के फाउंडर और चेयरमैन सुनील मित्तल के सक्सेस स्टोरी को शुरू से जानते है।
Success Story of Sunil Mittal :
सुनील मित्तल का जन्म 23 अक्टूबर 1957 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। उनके पिता का नाम सतपाल मित्तल था जो एक पॉलिटिशियन थे और 2 बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा से सांसद भी रह चुके थे। हालांकि, वो अब इस समय हमारे बिच नहीं है।
सुनील मित्तल की एजुकेशन की बात करे तो उन्होंने अपनी पूरी पढाई Wynberg Allen School मैसूर और Scindia School ग्वालियर से की और आगे चल के साल 1976 में पंजाब यूनिवर्सिटी से बैचलर्स और आर्ट एंड साइंस में अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर ली। हालांकि, सुनील का कहना है कि शुरू से उन्हें पढाई लिखाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी और बचपन से ही वो खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते थे।
इसलिए उन्होंने महज 18 साल की उम्र में ही बिज़नेस की तरफ अपना पहला कदम रखा और अपने पिता से 20 हजार रुपए लेकर कुछ दोस्तों के साथ बिज़नेस का पार्ट बनाने लगे। कुछ दिनों तक साइकिल का पार्ट बनाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि इस बिज़नेस में अपना समय दे के वे कुछ ज्यादा सफल नहीं हो सकते है। इसलिए उन्होंने इसे बंद करने का फैसला किया और फिर वे मुंबई चले गए।
जहां उन्होंने 1981 में इम्पोर्ट लाइसेंस खरीदा और फिर जापान से एक्सपोर्ट किए गए पोर्टेबल जेनरेटर्स को बेचने का काम करने लगे। इस बिज़नेस से उन्हें खूब फायदा हुआ और अब ऐसा उन्हें लग रहा था की उनकी लाइफ पूरी तरह से सेट है। लेकिन, तभी भारतीय सरकार ने जेनरेटर के आयात पे रोक लगा दी क्योकि दो भारतीय कंपनियों को अपने देश में जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था।
हालांकि, उस घटना से सुनील ने कभी हार नहीं मानी, बल्कि यह सिख लिया कि वह आगे चलकर इस तरह का कोई भी मौका आएगा तो वे जरूर फायदा उठाएंगे। आगे भी वो अलग-अलग काम करते रहे और साल 1984 में ताइवान की कंपनी KINGTEL से उन्होंने नए जेनरेशन का पुश बटन फ़ोन इम्पोर्ट कर बेचने का काम शुरू किया क्योकि अभी तक भारत में वहीं पुराने फ़ोन यूज़ किए जा रहे थे जिसमे नंबर को दवा दवा कर हमे घुमाना पड़ता था।
साल 1990 में सुनील ने फैक्स मशीन और बिना तार वाले फ़ोन की भी बिक्री शुरू की। लेकिन उसके बाद जो हुआ उससे सुनील की पूरी जिंदिगी ही बदल गई। साल 1992 में उन्होंने भारत में नीलाम किए जा रहे मोबाइल फ़ोन के लाइसेंस के लिए बोली लगाई और चार कंपनियों में उनकी एक कंपनी Bharti Cellular Limited (BCL) को भी लाइसेंस मिल गई। हालांकि, उन्हें यहां भी कई समस्या से झूझना पड़ा। लाइसेंस लेने वालो के लिए सरकार ने शर्त रखी थी कि उनके पास टेलीकॉम ऑपरेटर के रूप में कुछ न कुछ अनुभव जरूर होना चाहिए। इसलिए मित्तल ने फ्रेंच की एक टेलीकॉम कंपनी के साथ समझौता किया और इस समस्या को भी दूर भगा दिया। बस यहां से सुनील और उनकी कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
इसके बाद उन्होंने कुछ ही सालो में एयरटेल ब्रांड नेम के साथ 20 लाख मोबाइल ग्राहकों का आकड़ा पार कर लिया और ऐसा करने वाले एयरटेल पहली टेलीकॉम कंपनी बनी और मौजदा समय की बात करे तो एयरटेल की ग्राहकों की संख्या 450 मिलियन करीब है। अगर हमलोग वर्त्तमान में सुनील मित्तल की नेट वर्थ की बात करे तो उनकी कुल नेट वर्थ 16.8 बिलियन डॉलर है।
साल 2007 में सुनील मित्तल के योगदान के लिए उन्हें भारत की सबसे बड़ा तीसरी सम्मान पदम् श्री से सम्मानित किया गया। सुनील मित्तल बिज़नेस मैन होने के साथ एक समाज सेवक के रूप में भी काम करते है। वे भारती फाउंडेशन नाम का ट्रस्ट चलाते है जो गाँव की बच्चे को क्वालिटी एजुकेशन, फ्री बुक्स और यूनिफार्म प्रदान करता है।
दोस्तों सुनील मित्तल की लाइफ हम सभी के लिए प्रेरणा है वे अपने जीवन में कई बार गिरे और संभलते रहे लेकिन कुछ बड़ा करने की कोशिश उन्होंने कभी नहीं छोड़ी।
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