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Mahindra Group: The Untold Story of Success : आइए जानें महिंद्रा ग्रुप का इतिहास, आखिर कैसे आनंद महिंद्रा ने इतना बड़ा एम्पायर खड़ा किया

Mahindra Group: The Untold Story of Success : Mahindra & Mohammad इसी नाम से शुरुआत हुई 21 बिलियन डॉलर्स के महिंद्रा ग्रुप की, सपना तो था टाटा से भी बड़ा एक स्टील प्लांट लगाने का जिसे पूरा करने के लिए इसके फाउंडर J.C Mahindra का घर तक बिक गया और कंपनी अपने पैर पे खड़ा होने की कोशिश ही कर रही थी उसी दौरान उनके दोस्त और पार्टनर Malik Gulam Mohammad उनका साथ छोर के पाकिस्तान चले गए लेकिन महिंद्रा ब्रदर्स ने एक बड़ा सपना देखा था जिसे आज उनके grand son  आनंद महिंद्रा ने पूरा करके दिखाया है।

Mahindra Group: The Untold Story of Success
Mahindra Group: The Untold Story of Success

महिंद्रा का नाम सुनते ही आपको सायेद Thar, XUV700 या Tractors का नाम ख्याल आता होगा। लेकिन आज महिंद्रा ग्रुप Cars, Buses, Trucks, Planes, Tractors और Boats बनाने के अलावा सॉफ्टवेयर, फाइनेंस, डिफेन्स और इंफ्रासेक्टर में भी एक बड़ा नाम है। एक तरफ ये जहा Jawa, Yzedi जैसे वर्ल्ड फेमस 2 व्हीलर्स कंपनी को own करती है वही ये दूसरी तरफ इटली की फेमस कार डिज़ाइन कंपनी Pininfarina का भी मालिक है, जो Ferrari और Maserati जैसे दिग्गज कंपनी के cars को डिज़ाइन करती है। आखिर आनंद महिंद्रा ने ऐसा क्या कर दिया कि एक छोटी सी स्टील कंपनी 100 से भी ज्यादा देशो में काम करने वाली एक ग्लोबल ब्रांड बन गई। तो आइए आपको बताए Mahindra Group: The Untold Story of Success के बारे में

History & Business Empire of Anand Mahindra :

दोस्तों महिंद्रा कंपनी के इस सफर की शुरुआत होती है 1892 में जब पंजाब के लुधियाना शहर में इस कंपनी के फाउंडर J.C Mahindra का जन्म हुआ। वे अपने 9 भाई-बहन में सबसे बड़े थे और वे बचपन में ही अपने पिता को खो देने की वजह से परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्ही के कंधो पे आ गई। अब उस समय उनकी उम्र भट कम थी लेकिन उन्होंने अपने भाई-बहनों को पिता की कमी कभी महसूस नहीं होने दी।

उस समय अंग्रेजो का राज्य था और एक आम भारतीय के लिए अच्छी शिक्षा पाना बहुत ही मुश्किल था लेकिन उस दौर में भी J.C Mahindra ने पढाई-लिखाई के महत्त्व को अच्छी तरह समझ लिया इसलिए उन्होंने VJTI (Veermata Jijabai Technological Institute, Mumabai) से अपनी इंजीनियरिंग की पढाई कम्पलीट की और अपने छोटे भाई K.C Mahindra को higher एजुकेशन के लिए Cambridge University भेज दी। फिर पढाई पूरी होने के बाद  J.C Mahindra को टाटा स्टील में सीनियर सेल्स मैनेजर के पद पे अच्छी जॉब मिल गई और वहां साल 1929 से 1940 तक काफी सिद्दत से काम किया। जिसका नतीजा ये हुआ कि 2nd वर्ल्ड वॉर के दौरान सरकार ने उन्हें भारत का पहला स्टील कंट्रोलर नियुक्त कर दिया।

K.C Mahindra & J.C Mahindra
K.C Mahindra & J.C Mahindra

अब उनके छोटे भाई K.C Mahindra की बात करे तो Cambridge में पढाई पूरी होने के बाद वह कुछ सालों तक अमेरिका में ही जॉब किए और 1942 में उन्हें अमेरिका के अंदर उन्हें Indian Purchasing Mission का हेड बना दिया गया और फिर 1945 में जब वे वापस भारत आए तो सरकार ने उन्हें Indian Coldfeild Committee और  Auctomobile & Tractor Panel का चेयरमैन बना दिया। हालांकि उसके बाद भी महिंद्रा ब्रदर्स को कई सरकारी और निजी संस्थान में बड़े-बड़े पद ऑफर हुए। लेकिन अब उनकी सोच बदलने लगी थी देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था और उनको यकीन था की हम जल्द अपनी आजादी हासिल कर लेंगे साथ ही वे इस बात को समझते थे की आजादी के बाद भारत की स्टील इंडस्ट्री काफी तेजी से बढ़ने वाली है। लेकिन बिज़नेस शुरू करना इतना आसान नहीं था एक बड़ी रकम की जरूरत थी इसलिए दोनों भाईओ ने अपनी घर तक बेच दी और फिर अपने दोस्त Malik Gulam Mohammad के साथ मिल के एक स्टील कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम Mahindra & Mohammad रखा गया और यही से शुरुआत हुई विशाल बिज़नेस एम्पायर की।

Mahindra & Mohammad
Mahindra & Mohammad

आज भले ही महिंद्रा अपने पावर फुल vehicles के लिए जानी जाती है, लेकिन सच यही है कि इस कंपनी की शुरुआत एक स्टील ट्रेडिंग कंपनी के रूप में हुई थी। उस समय दोनों भाइयो ने Malik Gulam Mohammad के साथ मिल कर अपनी इस कंपनी को देश की सबसे बड़ी स्टील कंपनी बनाने का सपना देखा था। लेकिन 1947 में देश का जब बटवारा हुआ तो Malik Gulam Mohammad भारत छोर कर पाकिस्तान चले गए और उनके फैसले से महिंद्रा ब्रदर्स को हिलाकर रख दिया क्योंकि सब कुछ दाव पे लगा हुआ था लेकिन Gulam Mohammad को अपना फ्यूचर पाकिस्तान में दिखा और उनका ये फैसला सही साबित हुआ क्योंकि वे पाकिस्तान के पहले फाइनेंस मिनिस्टर बनाये गए।

Mahindra & Mahindra
Mahindra & Mahindra

अब इसके बाद फण्ड की भी दिक्कत होने लगी और फिर Mahindra & Mohammad का भी अब कोई मतलब नहीं रह गया। वैसे कंपनी का नाम बदलना कोई बड़ा काम नहीं था लेकिन इसमें ये दिक्कत थी की कंपनी के सारे स्टेशनरी M&M नाम से छप चुकी थी। तो इसको रीप्रिंट करने की वजाय इसी का नाम Mahindra & Mahindra रख दिया गया ताकि इसका शार्ट नाम M&M ही रहे। उस खराब समय में भी महिंद्रा ब्रदर्स लगातार कंपनी को चलाने का प्रयास करती रही। इन दोनों की मेहनत की वजह से M&M डूबने से बच गई।

इसके बाद उनका कुछ ऐसा करने का इरादा था जो उनसे पहले भारत में किसी कंपनी ने नहीं किया हो और यही पे K.C Mahindra का एक्सपीरियंस काम आया क्योंकि K.C Mahindra अमेरिका के सडको पे जीप को देख के काफी इम्प्रेस हुए थे और वे भारत में इसको लाना चाहते थे। फिर महिंद्रा ने साल 1947 में Willis कंपनी से बात की और एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत Willis जीप को भारत में ही assembel करके बेचने लगे क्योंकि ये जीप 2nd वर्ल्ड वॉर के दौरान मिलिटरी के लिए डिज़ाइन की गई थी इसलिए इसकी मजबूत बनाबट और हाई ग्राउंड क्लीयरेंस भारत की खराब सड़को के लिए अच्छी थी इसलिए ये जीप लोगो के बीच पॉपुलर हो गयी और धीरे धीरे महिंद्रा की इमेज एक ऑटोमेटिव कंपनी के रूप में बनने लगी।

फिर जब साल 1951 में J.C Mahindra और 1963 में K.C Mahindra की मृत्यु हुई तब Mahindra&Mahindra अपने देश की सक्सेसफुल कंपनी बन चुकी थी। जिसके बाद इस M&M कंपनी को K.C Mahindra के बेटे Keshub Mahindra को सौपी गई। फिर जब कंपनी की जिम्मेदारी उनपे आई तो वे बिज़नेस को अपने हिसाब से करने लगे इसकी शुरुआत उन्होंने ट्रेक्टर बिज़नेस से की। फिर साल 1963 में अमेरिका की International Harvester कंपनी के साथ जॉइंट वेंचर ने महिंद्रा ने B275 tractor को लांच किया।

B275 tractor
B275 tractor

इस दौरान J.C Mahindra के बेटे Harish Mahindra के घर Anand Mahindra का जन्म हो था। लेकिन इस वक़्त Keshub Mahindra को बिज़नेस को diverse करना एक बड़ा चैलेंज था क्योंकि 1960 में सरकार के रेगुलेशन और लाइसेंस राज की वजह से अपने अनुसार काम करना पॉसिबल नहीं था, लेकिन ऐसे समय में भी अपने कंपनी के ग्रोथ को बरक़रार रखा और फिर महिंद्रा ने 1980 में अपना बिज़नेस को भारत के बहार भी expand करना शुरू कर दिया।

Tech Mahindra
Tech Mahindra

साल 1986 में Tech Mahindra की शुरुआत हुई जो महिंद्रा की दूसरी बड़ी फ्लैगशिप कंपनी के होने के साथ ही भारत के 5 IT’s कंपनी में अपनी जगह बनाई है और फिर 90’s में महिंद्रा ने Hospitality & Tourism जैसे नए स्पेस में enter किया और 1996 में क्लब महिंद्रा की शुरुआत की गई। साल 2012 तक Keshub Mahindra महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन बने रहे।

अब आप सोच रहे होंगे की फिर Anand Mahindra ने क्या किया उन्होंने भी बहुत कुछ किया तभी महिंद्रा आज भी अच्छी जगह है। लेकिन आनंद महिंद्रा को बिज़नेस में इंटरेस्ट नहीं था वो फिल्ममेकिंग और फोटोग्राफी को अपना करियर बनाना चाहते थे। लेकिन Harvard University से MBA करके आने के बाद 1981 में आनंद महिंद्रा को अपने स्टील डिवीज़न महिंद्रा Musco को आम employee की तरह ज्वाइन करना पड़ा। उन्हें ये काम में अच्छा लगने लगा। 1991 में उन्हें महिंद्रा ग्रुप का Deputy Managing Director और फिर 1997 में Managing Director और फिर साल 2001 में कंपनी का Voice Chairman बना दिया गया। फिर साल 2012 में उनके uncle Keshub Mahindra ने उन्हें Chairman बनाया।

Anand Mahindra & Keshub Mahindra
Anand Mahindra & Keshub Mahindra

असल में आनंद महिंद्रा की एक होल्डिंग पोजीशन में पहुंचने से पहले महिंद्रा ने अपने बिज़नेस को अलग अलग सेक्टर्स में diversify तो कर लिया था लेकिन उनकी ज्यादा तर बिज़नेस किसी विदेशी कंपनी के रहम पे चल रही थी यहां तक की उनकी IT कंपनी Tech Mahindra भी British Telecom के साथ collaboration में काम कर रही थी अपना कुछ नहीं था जिससे कंपनी का revenue और profitability काफी कम थी।

लेकिन उनका aggressive decision और future oriented approch के वजह से ही जहां साल 1191 में महिंद्रा का  total revenue Rs 1520 CR था वो आज बढ़कर 2023 में Rs 122000 + CR पहुंच गया है। अब आप सोच रहे होंगे इतना revenue बढ़ा कैसे तो इसके पीछे की भी कहानी है।

दरअसल 90’s में Suzuki, Hyundai और General Motors के भारत में आने से मार्केट में लोगो के पास Tata और Mahindra के अलावा और भी options आ गए। जो good looking होने के साथ ही fuel efficient भी थे। लेकिन महिंद्रा वही अपनी पुरानी जीप में कुछ changes करके Armada, Marshal और Armada Grand जैसी गाडिया लांच करते गई जिसमे लोगो का interest कम होने लगा।  हालांकि इसमें कुछ नए प्रोडक्ट भी लाने की कोशिश की गई जैसे Ford के साथ मिलके Ford  Escort को लांच की गई लेकिन ये भी फ्लॉप साबित हुई।

Anand Mahindra
Anand Mahindra

फिर साल 1993 में आनंद महिंद्रा ने अपनी RND टीम को restructure करके Pawan Goenka को अपनी टीम में शामिल किया जो उस समय General Motors में engine technology के स्पेशलिस्ट माने जाते थे। इसके बाद उन्होंने Pawan Goenka से एक इंडियन compact XUV design करने का खर्च पूछा तो उन्होंने बताया कि 1000 करोड़ की जरूरत होगी। ये पैसा महिंद्रा ग्रुप के 4 साल के प्रॉफिट से भी ज्यादा थी लेकिन आनंद महिंद्रा ने इस प्रोजेक्ट को 550 करोड़ में आगे बढ़ाने का आर्डर दे दिया। इस तरह साल 2002 में महिंद्रा की किस्मत बदलने वाला compact XUV Scorpio को लांच किया गया जबकि इसके दो साल पहले inhouse engine के साथ Bolero को भी मार्केट में उतार दिया गया था। और फिर ये दोनों जोड़ी ने भारतीय मार्केट में धूम मचा दी। इसके बाद XUV 300,  XUV 500,  XUV 700 और Thar जैसी दमदार गाड़ी ने मानो महिंद्रा को पंख ही लगा दी। आज भी ये सारी गाड़िया भारत की टॉप selling कार में सुमार है।

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